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प्रतिलिपि
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स्वयं को उन्नत करोएक अति श्रेष्ठ, निज-परित्यागी जीव के रूप में-2 का भाग 2

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इसके बारे में सोचो आप प्रार्थना करने से पहले, कि आप पहले कर सकते हो या नहीं। यदि आप बिल्कुल नहीं कर सकते, कोर्इ और समाधान न हो, तो ठीक है, परम सत्ता आपकी सहायता करेगी। पर इसका दुरूपयोग न करो, ठीक है? यह आपको आलसी बना देता है, आपको निर्भय नही बनाता, आपको बुद्धिमान नहीं बनाता, नीरस व्यक्ति बना देता है। यह अच्छा नहीं है। मैं नहीं चाहती कि आप नीरस व्यक्ति जैसे बनें। में चाहती हूं कि आप बनें एक सक्रिय व्यक्ति। पहले से बेहतर। दूसरों की सहायता करने वाले। दूसरों के बारे में सोचने वाले स्वयं से पहले, हमेशा। खैर, यह आसान नहीं है, बेशक। पर स्वयं को प्रशिक्षित करो। करने की कोशिश करो- जो भी दूसरों के लिए अच्छा हो, कोशिश करो, यह करने का आप कठोर प्रयत्न करो।

दीक्षा के समय, आप मुक्त होते हो। और आपको बस इसे करना जारी रखना होता है। ठीक है? और एक दूसरा है आपके पास, सबकुछ ठीक है आपके साथ। तो मैं सच में नही हूं चिंतित आपके लिए। यदि मैं आपको नहीं भी देखती, मैं चिंतित नहीं होती। यही है कि आप पसंद करते हैं मुझे देखना, तो ठीक है, मैं इसे करने की कोशिश करती हूं। पर मैं चिंतित होती हूं अन्य लोगों के लिए, ग्रह के लिए, संसार के लिए, असहाय पी​ड़ितों के लिए, ब्रहमांड के लिए। तो मुझे क्षतिपूर्ति करनी होती है स्वयं को अच्छे से आध्यात्मिक तौर पर देखभाल करने के लिए हर कोने की जो मैं कर सकती हूं।

पर मैंने आपको पहले ही कहा था मैं बहुत चिंता नहीं करती आपकी। क्योंकि आपके पास मैं हूं। बाकि लोग, उनके पास नहीं है। उनके पास कुछ नहीं है निर्भर रहने को, प्रार्थना करने को। और वे परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं और वे कहते हैं परमेश्वर जवाब नहीं देते। वे बुद्ध से प्रार्थना करते हैं, वे कहते हैं बुद्ध उन्हें नज़रंदाज़ करते हैं। इसलिए मैं चिंता करती हूं उन लोगों की। ठीक है? तो यदि उन्हें इसकी जरूरत है, हम उन्हें देते हैं जो भी सुख हमारे पास है। आपतकाल में इस्तेमाल के लिए। बेशक, मैं नहीं कर सकती सारे संसार की देखभाल प्रतिदिन, उन्हें दो कुछ भी जो उन्हें चाहिए। पर आपातकाल की दशा में, आपदा की दशा में, हम उन्हें देते हैं। मुझे पश्चाताप नहीं होता। इसलिए उस वजह से, आपके पास है, जो यहाँ आपके पास है। ठीक है?

चाहे आपके पास मैं न भी होउं। पर यदि आपके पास एक घर है, एक अच्छी नौकरी, एक स्थायी परिवारिक आय, तो आपको महसूस होना चाहिए कि आप पहले ही से धन्य हैं। बेहतर करोड़ों से या अरबों लोगों से जो एक नौकरी से बाहर है, जिसके पास कोर्इ घर नहीं है, जिसका घर जब्त कर लिया गया है, या उनकी आजीविका बर्बाद हो गयी है, सब कुछ। हमें हमेशा होना चाहिए कृतज्ञ। आपका धन्यवाद।

मुझे उस तरह के लोग पसंद हैं जो सच में सराहना करते हैं जो वह है। ठीक है? वह अच्छा उदाहरण है। मैं आपको बताती हूं एक और अच्छा उदाहरण। क्या आप सुनना चाहते हैं? (जी हां।) एक परिवार था, आपका भार्इ और बहिन दीक्षित परिवार। वह यहाँ से बहुत दूर रहता है। एक देश जहां आसपास कोर्इ दीक्षित नहीं है। अब वहाँ हैं थोड़े ज्यादा, जैसे 12,13। पहले, वहाँ कोर्इ नहीं था। और जब हमारे पास था टैलीविज़न, वे उतने अमीर नहीं थे या कुछ, पर उन्होंने तरीका ढूंढा प्रसारण करने का सुप्रीम मास्टर टैलीविज़न को उनके देश में हर जगह। केवल एक परिवार, चार लोग। उन्हें किसी ने करने को नहीं कहा, उन्होंने बस इसे अपने आप किया। और उसके बाद हमारे पास नहीं है अब सुप्रीम मास्टर टैलीविज़न अब और... क्योंकि मैं एकाग्र होना चाहती थी पहले ग्रह के बचाव के लिए, ठीक है? यदि ग्रह नहीं तो कोर्इ टैलीविज़न नहीं, ओह, हम सबको बता रहे हैं, यह करने की कोशिश करो, और शाकाहारी बनो, हरियाली लाओ, शान्ति बनाओ, पर वे बहुत धीमे हैं! मुझे जल्दी घर जाना था और कुछ पाना।

अब, और उसके बाद, वे बदल गए, वे बदल गए। बेशक, अब और टैलीविज़न करने को नहीं था, उन्होंने खोला एक लविंग हट भोजनालय। चार लोग। और उस देश में, वहाँ कोर्इ विगन भोजन नहीं था, नादा (कुछ नहीं), सेम व चावल के अतिरिक्त। आप वह जानते हैं। कुछ देशों में कुछ नहीं होता। मुझे हैरानगी है कि वे यदि सोया सॉस भी खरीद पाएं। जब मैं गयी मध्य अमेरीका के अन्य देशों में, उन्हें नहीं पता था कि मैगी सोया सॉस क्या होती है। कुछ भी नहीं जानते थे इसके बारे में। टोफू भी- “क्या?”। तो, यह परिवार टोफू बनाता है खुद।(वाह!) ग्लूटैन मांस बनाता है खुद ही। कुछ भी और बनाते हैं स्वयं ही, सोया दूध, वगैरहा। वे इसे बनाते हैं सब कुछ खुद ही। और वह देश, लोग जानते तक नहीं थे शाकाहारी भोजन को, भी। और वे बनाते थे सबकुछ स्वयं ही, बस चार लोग। पहले कभी नहीं पकाया था- पर कोशिश। सीखा और पकाया।

और फिर, जो ज्यादा प्रभावित करने वाला है: वे सभी यहाँतक कि जागते थे सुबह के चार बजे हर रोज ध्यान करने के लिए, अपनी सारी व्यस्तता के बावज़ूद। आप जानते हैं, भोजनालय का काम बहुत व्यस्त काम है। जल्दी जागो, देर से बिस्तर पर जाओ। और कभी कभी ग्राहक जाना नहीं चाहते हैं। बस वहाँ रूकते हैं और उनकी कॉफी पीते रहते हैं। एक एस्प्रैसो, एक घंटा। और बातें, बातें, बातें। फिर भी जागना हर सुबह 4 बजे, उठो और ध्यान करो।

यह है जिसे मैं निष्ठा कहती हूं। यह है जिसे मैं कहती हूं र्इमानदार अभ्यासी। यदि आप नहीं करते उनमें से कुछ, मुझे शिकायत न करना। और किसी चीज़ के लिए प्रार्थना नहीं करना। पहले जांच करो कि क्या आप अपना काम करते हो, मुझे पूछते रहने से पहले कि मैं सारा समय मेरा काम करने को, जो मेरा काम भी नहीं है। हमने पहले ही पूछा था, हम पहले ही से सहमत हुए थे, हम दीक्षा के लिए आए परमेश्वर के लिए, ठीक है? घर जाने के लिए, ठीक है? अपने महान आत्म को जानने के लिए और अधिकतम 5,6, या 7 पी​ढ़ियों’ की मुक्ति के लिए। जो मैंने वचन दिया था और जो मैं करती हूं। मैं हर चीज़ करती हूं जो मैंने वायदा किया था।

ओर बेशक, आपकी भी मदद करते हुए, बेशक, जब आप होते हो आपतकालीन स्थिति में या जब आप दुर्घटनाग्रस्त होते हो। आप सब वह पहले ही से जानते हो। यदि आपने इसका अनुभव नहीं किया है स्वयं, आपका भार्इ या दीक्षित बहिन ने आपको बतायी उसकी बहुत सी कहानियां। ऐसे नहीं कि मैं आपको नज़रंदाज करती हूं या बस आध्यात्मिक अभ्यास या और कुछ नहीं करती आपके लिए। क्या वह सच है? आप जानते हैं, सही? (जी हाँ।) क्या आप वह जानते थे कि आप दुर्घटनाग्रस्त होंगे ड्रार्इव करने से पहले कार बाहर निकालने से पहले? नहीं, आप नहीं जानते थे। ठीक है? तो इसलिए पहले, आपने भी नहीं की गुरू जी से प्रार्थना मदद के लिए। पर गुरू जी फिर भी वहाँ आपकी मदद के लिए थे। तो क्या फायदा है इस सारी बकवास का अंदर या बाहर? और मुश्किल खड़ी करते हो।

ये दो महीने, या ये कुछ सप्ताह, मैं वहाँ होना चाहती हूं बस पूरी तरह आध्यात्मिकता के लिए, ताकि आपको मिल सके अत्याधिक लाभ। मेरा वही मतलब है, ठीक है? तो पांच नियमों का मतलब जरूरी यह नहीं केवल पैसा या सम्पत्ति बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी। ठीक है? आप पाओगे जो भी आपको चाहिए। और प्रार्थना करो- यदि आपको प्रार्थना करनी है, बस कहो, “प्रभु, कृपया करें जो भी मेरे लिए अच्छा है या मेरे परिवार के लिए इस जीवनकाल में। अभ्यास करने में मेरी सहायता करें।” बस वहीं है जो आप प्रार्थना करें। और हर रोज़ आप धन्यवाद करें प्रभु का एक अच्छे दिन के लिए। अच्छे या बुरे दिन के लिए। क्योंकि एक बुरा दिन भी एक अच्छा दिन है।

कभी कभी आप सोचते हैं आपका पति आपको छोड़ता है, “ओह, भयानक! कैसे परमेश्वर हैं! आप मेरी मदद नहीं करते मेरी शादी बरकरार रखने के लिए। नहीं! शायद वह आपके लिए अब बहुत अच्छा नहीं है! उसे जाना चाहिए ताकि आप आज़ाद हो जाएं। हो सकता है कि आप मिलोगे एक बेहतर इन्सान को। कौन जानता है? तो चीज़ों के साथ आसक्त नहीं होओ जब समय गुज़र जाता है। उसे जाने दो, सब कुछ। बस प्रार्थना करो कि “कृपया, जो भी मेरे लिए अच्छा है, आप इसे होने दें।” फिर ठीक वही होगा।

चाहे आपको हो थोड़ा दर्द यहाँ वहाँ, यह भी आपके लिए अच्छा है। क्यों? क्योंकि आप नहीं करते बेहतर ध्यान! आपको अदा करना पड़ता है बुरे कर्म (प्रतिफल) उस तरह। फिर यह आपके लिए अच्छा है। या आप बल्कि अच्छे हो जाएंगे, सब ठीक और फिर बिल्कुल ध्यान नहीं करते और फिर बस जाते हो नक्षत्रीय स्तर पर जब आप मरते हो? आपको वह अच्छा लगेगा? (नहीं।) नहीं। तो हर चीज़ स्वीकार करो, ठीक है?

प्रार्थना करो कि आपको सहने की शक्ति मिले। प्रार्थना करो कि प्रभु, स्वर्ग जो भी प्रबंध करते हैं आपके लिए अच्छा है, आप इसे स्वीकार करेगे। बेशक, उसका मतलब यह नहीं जब आप तक्लीफ में होते हैं, आप अस्पताल मत जाओ या चिकित्सक के पास जाना। बस कुछ भी करो। ठीक है? करो जो भी आवश्यक हो। पर अपनी परेशानियां न लेकर आओ हमारे ध्यान के स्थान पर। यहाँ तक कि आपके सामूहिक ध्यान स्थान पर घर पर। इसे साफ व शुद्ध रखो ताकि जब कोर्इ भी आता है, वे इस आशीष में नहाएंगे, बेदाग किसी भी किसी भी संसारिक इच्छा या परेशानी से

और हमेशा नहीं लादो इसे मुझ पर। यदि आपको परीक्षा लेनी हो, ठीक से पढ़ो! यदि आप चाहते हो कि आपके बच्चे आपसे प्यार करें, एक अच्छे स्नेही मांबाप बनो, समझदार। एक मित्र बनो, एक नियन्त्रक तानाशाह नहीं घर पर। ओह, मुझे पता है, काबू करना इतना आसान है। क्योंकि आपके पास पूरा सामर्थ्य है। उन्हें हमेशा आपसे कुछ मांगना पड़ता है। उन्हें हमेशा आप के उपर निर्भर रहना पड़ता है हर चीज़ के लिए। थोड़ा सा जेबखर्च, थोड़ा भोजन, एक छोटा बार्इक। उनके बारे में सोचा, यदि आप उनकी जगह होते। वे पूर्णतया आप पर निर्भर करते हैं। यह बहुत निराशात्मक है उनके लिए, विशेषतया वे बड़े हो रहे हैं। वे कुछ हैं अपने दोस्तों के सामने। घर पर, वे हमेशा जैसे कमज़ोर व्यक्ति, हमेशा हर चीज़ के लिए मांगना पड़ता है। और बेशक आप सामर्थ्र्य महसूस करते हैं। “नहीं, जॉन! आज नहीं! अभी नहीं!” “नहीं! मैं इसके बारे में सोचूंगा।” “बाहर जाओ!” “यह करो, वह करो, या कुछ!” आप समझे मेरा मतलब?

एक अच्छे, स्नेही, विवेकी मांबाप बनो। मेरा मतलब यह नहीं अपने बच्चों को खराब करो। पर विवेकी बनो। सोचो कि आप क्या कर सकते हो यदि आप उनकी जगह होते। उन्हें बिगाड़ो नहीं और उनके लिए चीज़ें न खरीदो जो देने के लिए जरूरी नहीं है। पर उन पर नियंत्रण नहीं करो बहुत ज्यादा। फिर वे आपसे प्यार करेंगे। और वे रूकेंगे। और यदि आप वह सब पहले ही करते है, और वे चले जाते हैं, तो ठीक है, कर्म (प्रतिफल) खत्म हो गए हैं। उसका मतलब आप दोनों के बीच में, और नहीं है अब कार्मिक सम्बन्ध। मुझसे मत पूछो जाकर उन्हें पकड़ने को। मैं पुलिस नहीं हूं, और मेरी कोर्इ मंशा नहीं है आपके पुत्र को काबू करने की, आपकी पुत्री को। यह आपका काम है। ठीक है? यह आपका काम है उनका पालन करना, उनके साथ मित्रवत् होना ताकि वे आपका विश्वास कर सकें और वे सुखद महसूस करें घर पर। ताकि वे भाग नहीं जाएं।

हर बच्चा जो भागता है, वहाँ कुछ कारण होते हैं। पहला, शायद घर पर, सुखद नहीं है। दूसरा, बाहर से बुरा प्रभाव। खैर ढूंढो यह क्या है और बच्चे की मदद करने की कोशिश करो। ठीक है? उन्हें बहुत ज्यादा दोष मत दो, उनके साथ बहुत ज्यादा सख्ती न बरतो, उन्हें बहुत ज्यादा नियंत्रित मत करो। फिर, बेशक वे भाग जाएंगे। बाहर वे संपर्क में आते हैं दोस्तों के और उनके कारण दबाव में होते हैं, और फिर घर पर, उनको नहीं समझते मां बाप। और बेशक वे भाग खड़े होते हैं। उनको जाने के लिए कोर्इ जगह नहीं होती, उन्हें नहीं पता होता कि कहाँ जाना

है। कभी कभी स्कूल बच्चों के लिए समस्या होती है। आपको हमेशा उनके साथ होना होता है, उनसे पूछना, उन्हें आप पर विश्वास करने दो, ताकि वे आपको सब कुछ बता सकें। क्योंकि कभी कभी स्कूल में, बच्चों को तंग किया जाता है। पर वे हिम्मत नहीं करते मांबाप को बताने की या वे हिम्मत नहीं करते अध्यापक को बताने की क्योंकि उन्हें धमकाया जाता है या कुछ या वे भरोसा नहीं करते घर पर मांबाप पर। क्योंकि मांबाप नहीं समझते और हमेशा उन पर दबाव डालते हैं और उनसे चीज़ें करवाते हैं, उन्हें काबू करते बजाय उनको समझने के कि उनके साथ क्या समस्या हैं। बढती आयु एक बड़ी समस्या है बच्चे के लिए पहले ही। हारमोन जोर पकड़ते हैं, बच्चों में प्रतिस्पर्धा, और साथी तंग करते हैं तथा सब तरह की चीज़ें जो किशोरों पर दबाव डालते हैं। और यदि आप भी उन पर दबाव डालते हैं, तो निश्चित ही आप उन्हें खो देंगे।

एक अच्छे मां बाप बनो। जो भी आप के बीच है, अच्छे कर्म, बुरे कर्म, इसे स्वीकार करने की कोशिश करो और एक अच्छे मांबाप बनो ताकि आप एक अन्य प्राणी को मदद कर सको अच्छा बनने में। हालांकि यदि वह व्यक्ति, आपको लगता है, “वह शायद मेरा मित्र नहीं था पिछले जन्म में।” पर फिर भी, आप अब एकसाथ हो, आपको मित्र बनना होगा। उनकी देखरेख करें। ठीक है? हमेशा प्रार्थना नहीं करो, “गुरू जी, कृपया बना दो मेरे बच्चों को एक अच्छा बेटा, अच्छी बेटी।” मैं वह कैसे करूं? यदि आप रखते हैं उन पर दबाव डालना, फिर वह करता रहेगा जो वह करता है।

केवल अच्छे ही न बनो, आपको अच्छे होना होगा अपने बच्चों के प्रति। आपके बच्चे, आपके मित्र, या जो भी आप पर निर्भर करता है। तथा पड़ोसी। ठीक है?
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