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जागृत हों और हमेशा स्वयं पर नज़र रखें, तीन भाग का भाग 2

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तो सर्वोत्तम है कि आलोचना नहीं करें, ना केवल किसी भी मास्टर की आलोचना नहीं करें बल्कि किसी की आलोचना नहीं करें। क्योंकि हमारे पास अपनी स्वयं की समस्या को देखना का भी पर्याप्त समय नहीं है। हमारे पास इतनी अधिक परेशानी है, हमें स्वयं को देखना चाहिए किसी दूसरे को देखने की बजाय। हर एक के पास है, तो हमारे सहित, तो हमें स्वयं की जाँच करनी चाहिए।
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