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भोजन की क़ीमत कभी भी इतनी अधिक नहीं थी, क्योंकि हमें भोजन की कमी है, क्योंकि हम प्रकृतिक वातावरण को बर्बाद करते हैं और कीटनाशक से मधुमक्खियों को मारते हैं, और अभी महामारी भी है। एक चीज़ दूसरे को जन्म देती है। इस समय लगता है हर चीज़ मानव अस्तित्व पर प्रहार कर रही है। सच में मानव को बर्बाद करना चाहते हैं। लेकिन अधिकांश लोग अंधे, बहरे और गूँगे की तरह जी रहे हैं। मच नहीं देखते, कुछ नहीं सुनते, किसी चीज़ के बारे में नहीं सोचते हैं।