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पतित देवदूत, आठ भाग शृंखला का भाग ३

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आप देख सकते हैं कि गिरना कितना आसान है। क्योंकी ईश्वर किसी की भी स्वतंत्र इच्छा को नियंत्रित नहीं करते हैं। और फिर, वह इस स्वतंत्र इच्छा को भगवान के विपरीत जाने के लिए उपयोग करते हैं, ईश्वर के निर्णय और परोपकार के फैसला को जज करते हैं। वह उस क्षण ही गिरे हुए बन जाते हैं, जिस क्षण वह भगवान के मनुष्यों के प्रति उपचार की आलोचना करते हैं।
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